Friday, April 21, 2017

आइये आयुर्वेद को जाने


आयुर्वेद हमारे ऋषि मुनियों द्वारा दिया गया अनमोल उपहार है जिसकी उपयोगिता का वर्णन शब्दों द्वारा नहीं किया जा सकता| आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ् में सुधार करता है। आयुर्वेद में केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता है। आयुर्वेद का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और आज भी यह सर्वश्रेष्ठ है| विदेशी वैज्ञानिक आयुर्वेद के सिद्धांतों का अध्ययन करके आश्चर्यचकित हो जाते है|
आयुर्वेद क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित् और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं सकती। लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्वों का संतुलन बनाया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार का रोग हो। आयुर्वेद शब्द दो शब्दों आयुष्+वेद से मिलकर बना है जिसका अर्थ हैजीवन विज्ञान’ – “Science of Life”‘ आयुर्वेद (Ayurveda) केवल रोगों की चिकित्सा तक ही सिमित नहीं है अपितु यह जीवन मूल्यों, स्वास्थ्य एंव जीवन जीने का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करता है| आयुर्वेद में विभिन् रोगों के इलाज के लिए हर्बल उपचार, घरेलू उपचार, आयुर्वेदिक दवाओं, आहार संशोधन, मालिश और ध्यान का उपयोग किया जाता है।

आयुर्वेद का इतिहास
प्राचीनकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आयुर्वेदिक उपचार को अपनाया गया है और आज इस चिकित्सा द्वारा बहुत से रोगों का सफल उपचार किया जा चुका है यही कारण है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा को पूरे विश्व में ख्याति प्रसिद्ध हो हुई है। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार संसार की प्राचीनतम पुस्तक ऋग्वेद है विभिन्न विद्वानों ने इसका निर्माण काल ईसा के 3 हजार से 50 हजार वर्ष पूर्व तक का माना है इस संहिता में भी आयुर्वेद के अति महत्त्वपूर्ण  सिद्धान्तों का वर्णन है अनेक ऐसे विषयों का उल्लेख है जिसके संबंध में आज के वैज्ञानिक भी सफल नहीं हो पाये है
इससे आयुर्वेद की प्राचीनता सिद्ध होती है अतः हम कह सकते हैं कि आयुर्वेद की रचना सृष्टि की उत्पत्ति के आस पास हुई है।प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा की शुरुवात देवी-देवताओं के ग्रंथों से हुआ था और बाद में यह मानव चिकित्सा तक पहुंचा। सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) में यह साफ़-साफ लिखा गया है कि धनवंतरी, ने किस प्रकार से वाराणसी के एक पौराणिक राजा के रूप में अवतार लिया और उसके बाद कुछ बुद्धिमान चिकित्सकों और खुद आचार्य सुश्रुत को भी दवाइयों के विषय में ज्ञान दिया।

क्यों सर्वश्रेष्ठ है आयुर्वेद?
आयुर्वेद के उपचार में ज्यादातर हर्बल चीजों का उपयोग होता है। ग्रंथों के अनुसार कुछ खनिज और धातु पदार्थ का भी उपयोग औषधि बनाने में किया जाता था। हमारे ऋषि मुनियों की हजारों वर्षो की मेहनत एंव अनुभव का नतीजा है| आयुर्वेद केवल रोगों की चिकित्सा तक ही सिमित नहीं है अपितु यह जीवन मूल्यों, स्वास्थ्य एंव जीवन जीने का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करता है|आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार शरीर में मूल तीन- तत्त्व वात, पित्त, कफ (त्रिधातु) हैं। अगर इनमें संतुलन रहे, तो कोई बीमारी आप तक नहीं सकती। जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो ही कोई बीमारी शरीर पर हावी होती है।
 एलोपैथिक या होमियोपैथिक चिकित्सा में तुरन्त आराम तो मिलता है, परन्तु यह निश्चित नहीं कि रोग जड़ से खत्म हो जायेगा लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा रोग के मूल कारण पर केन्द्रित है इसलिए रोग जड़ से समाप्त हो जाता है और उसकी पुन: उत्पति नहीं होतीआयुर्वेद में चिकित्सा करते हुए केवल रोग के लक्षणों को ही नहीं देखा जाता बल्कि इसके साथ साथ रोगी के मन, शारीरिक प्रकृति एंव अन्य दोषों की प्रकृति को भी ध्यान में रखा जाता है| यही कारण है कि एक ही रोग होने पर भी अलग अलग रोगियों की चिकित्सा एंव औषधियों में भिन्नता पाई जाती है|
 आयुर्वेद के अनुसार कोई भी रोग केवल शारीरिक अथवा केवल मानसिक नहीं हो सकता| शारीरिक रोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है एंव मानसिक रोगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है| इसीलिए सभी रोगों को मनो-दैहिक मानते हुए चिकित्सा की जाती हैइसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता इसलिए इन औषधियों का हमारे शरीर पर किसी भी प्रकार का कुप्रभाव नहीं पड़ता|
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